Poem

तेरी याद में आँख भर आई


तेरी याद में आँख भर आई
तन्हाइयो से भारी यह जुदाई
तू न आया तेरी याद चली आई
इस दिल को बहाल करने थी आई


आज तेरी कहानी फिर याद आई
आज आपनी जवानी फिर याद आई
उठी थी तेरी डॉली और मेरा जनाज़ा
आज ज़िंदगी के ज़ुल्मो के रुसवाई याद आई


तुझे याद नही आती यह भी सही
पेर मेरी मोहब्बत में क्या कमी रही
तनहा बैठे तेरे खुवब देखा करती हूँ
बस तेरी यादों के सहारे हूँ जी रही


इस दिल मैं तू ही बस्ता है
सदा रहेता है दिल के करीब
मुझे छोड़ के जाने वाले
तेरी यादो के सहारे जीना मेरा नसीब

Teri Adao se hatkar dekha


तेरी अदओ से हटके कुछ देखा है
तेरी मदहोशी को पी के देखा है
मुस्कुरा न यूहन तू खड़ी खड़ी
ए ज़िंदगी! तेरे हर सितम मे जी के देखा है!लगता है जैसे साँसे थम सी रही है
आँखों मॅ नींद है एन दिल मॅ करार
मुस्कुरा रही है तू खड़ी खड़ी
ए ज़िंदगी! तुझे मार के भी जिया है!
तन्हाई से मेल हो रहा है
खुद ही खुद से बोल रहा है
मुस्कुराती क्यो है तू खड़ी खड़ी
ए ज़िंदगी! तेरा हर विष पिया है!
मुझे ले चल अपने संग कही
तेरे बिन हर पलसुना लगता है
हँसती है अब तू खड़ी खड़ी
ए ज़िंदगी! तेरा मेरा कुछ तो रिश्ता है!!


आओ
कुछ लोगों को
दूसरे के क़सूरों पर चिल्लाते देखें,
अपने दोनों हाथ मदद के लिए
लुटेरों के सामने उठाते देखें।
किसी के गम से हमदर्दी नहीं है जिनको
धंधे के आँसू वही बहाते हैं,
इसी तरह हमदर्द कहलाते हैं,
अपने कदमों को बढ़ाते वह तेजी से तब
आकाओं से इशारा मिलता जब,
आओ
अपनी आँखों से देखो
अपने नजरिये से सोचो
हंसी का खज़ाना मिलने लगेगा
खामोशी वह चाभी है
उससे दिल-ओ-दिमाग को खोलकर देखें।
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